लंका काण्ड दोहा 113
Filed under:
Lanka Kand
छंद –जय राम सोभा धाम। दायक प्रनत बिश्राम।।धृत त्रोन बर सर चाप। भुजदंड प्रबल प्रताप।।1।।भावार्थ:-शोभा के धाम, शरणागत को विश्राम देने वाले, श्रेष्ठ तरकस, धनुष और बाण धारण किए हुए, प्रबल प्रतापी भुज दंडों वाले श्रीरामचंद्रजी की जय हो