अयोध्याकांड दोहा 60
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चौपाई :बन हित कोल किरात किसोरी। रचीं बिरंचि बिषय सुख भोरी॥पाहन कृमि जिमि कठिन सुभाऊ। तिन्हहि कलेसु न कानन काऊ॥1॥ भावार्थ:- वन के लिए तो ब्रह्माजी ने विषय सुख को न जानने वाली कोल और भीलों की लड़कियों को रचा है, जिनका पत्थर के कीड़े जै