सुंदरकाण्ड दोहा 21
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Sunderkand
चौपाई :कह लंकेस कवन तैं कीसा। केहि कें बल घालेहि बन खीसा॥की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही। देखउँ अति असंक सठ तोही॥1॥भावार्थ:- लंकापति रावण ने कहा- रे वानर! तू कौन है? किसके बल पर तूने वन को उजाड़कर नष्ट कर डाला? क्या तूने कभी मुझे (मेरा ना