अयोध्याकांड दोहा 66
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चौपाई :बनदेबीं बनदेव उदारा। करिहहिं सासु ससुर सम सारा॥कुस किसलय साथरी सुहाई। प्रभु सँग मंजु मनोज तुराई॥1॥ भावार्थ:- उदार हृदय के वनदेवी और वनदेवता ही सास-ससुर के समान मेरी सार-संभार करेंगे और कुशा और पत्तों की सुंदर साथरी (बिछौन